कानून के नयन में पट्टी कैसे पड़ेगा कुछ दिखाई। कानून के नयन में पट्टी कैसे पड़ेगा कुछ दिखाई।
नित नई चुनौतियां नित नए आयाम । सरपट भागती ज़िंदगी नहीं कहीं आराम । नित नई चुनौतियां नित नए आयाम । सरपट भागती ज़िंदगी नहीं कहीं आराम ।
हालत कुछ ऐसे हैं मेरे, कि शब्दों मे बयाँ नहीं होते। हालत कुछ ऐसे हैं मेरे, कि शब्दों मे बयाँ नहीं होते।
खुद, इन्सान से बेजान चीज़ बन जाने का, ये कैसा पागलपन ? खुद, इन्सान से बेजान चीज़ बन जाने का, ये कैसा पागलपन ?
सर ए तूर हो सर ए हश्र हो हमे इंतजार कबूल है वोह कभी मिले वोह कहीं मिले वोह कभी सही । सर ए तूर हो सर ए हश्र हो हमे इंतजार कबूल है वोह कभी मिले वोह कहीं मिले वोह क...
फिर भी कुुुुुछ अनजान बने हुए उस रास्तेे पर दोबारा जा पहुँचे। फिर भी कुुुुुछ अनजान बने हुए उस रास्तेे पर दोबारा जा पहुँचे।